गोगाजी के भगत
गोगाजी के भगत भाद्रपद माह में ददरेवा और गोगामेड़ी दोनों ही जगह नाचते गाते आते है उन भगतो के हाथों में गोगाजी का निशान,छड़ी,तलवार होते है, भगतो का मानना है की गोगाजी के दरबार मे निसान लेकर आने से उनकी मनोकामना पूर्ण होती है गोगाजी मेले का यह क्रम दो माह (सावन और भादो ) तक जारी रहता है,वो (भगत ) भगवान श्री गोगाजी महाराज को बागड़ के पीर के नाम से भी पुकारते है क्योंकि प्राचीन काल में आजादी से पहले बागड़ एक राज्य हुआ करता था जिसकी राजधानी दादर गढ़ यानि वर्तमान ददरेवा हुआ करती थी और गोगाजी वहां के राजा थे! कथाकारों की माने तो गोगाजी के प्रथम भगत खिराज थे जो बिल्युं (सरदार शहर ) के निवासी थे, मानता है की गोगाजी ने प्रथम मनोकामना भगत श्री खिराज जी की पूर्ण की थी.
गोगाजी मेले में गोगाजी के गगन गगन भेदी जयकारे सुनने को मिलते है लाखों की संख्या श्रधालु प्रति दिन ददरेवा और गोगा मेडी आते है और गोगाजी के दर्शन करके अपने को धन्य मानते है ददरेवा दरबार में भगतो को गोगाजी की छायां चढ़ जाते है जिसे स्थानीय भाषा में "घोट " आना बोलते है जिस भगत को घोट आ जाती है वो गोगाजी को अपने ऊपर मेहरबान मानते है गोगाजी भगत सिर्फ गोगाजी को ही नहीं बल्की गोगाजी के नीले घोड़े की भे पूजा करके उन्हें भी खुश करते है वे नीले घोडे के लिये दाल का प्रसाद चढाते है , उतर प्रदेश के यात्री (पुरबिये ) तो यहाँ की मिटटी को भी पूजकर अपने को धन्य मानते है, मै तो इसी को आस्था मानता हूँ वास्तव में सही है की भगवान कण कण में होता है कोई यह सोचने होना चाहिए , रोड पर पड़े पत्थर को भगवन मानकर यदि कोई सचे मन से उसकी पूजा करे तो उसके समस्त संकट दूर हो सकते है !
जय गोगाजी महाराज ! यह लेखwww . dadrewa gogaji . blogspot.in को समर्पित करता हूँ !
3 टिप्पणियां:
jaharveer goga je
jai goga jahar veer ji
bhagat jagdeep singh
vill sher pur p.o chhachhrauli
135103 9671521840
kisi ka kiya ho ya khilaya ho baba ji kirpa se sab tik per baba per visvas karna hoga.
Goga puran 100 adyay
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