राजस्थान की लोक गाथाओं में असंख्य देवी देवताओं की कथा सुनने में आती
है | इन कथाओं में एक कथा श्री जाहर वीर गोगा जी चौहान की भी है | |
वर्तमानकाल में जिसे ददरेवा कहा जाता है यह जिला चुरू (राज.) में आता है | इसका पुराना ऐतिहासिक महत्व भी था क्यों की यह चौहान शासको की राजधानी थी |
ददरेवा के राजा जीव राज जी चौहान की पत्नी ने भगवान की भक्ती की जिसके फलस्वरुप वहा गुरु गोरखा नाथ जी महाराज पधारे और उन्होंने बछल देवी को संतानोपत्ति का आशीर्वाद दिया |
कुछ समय उपरांत उनके घर एक सुन्दर राजकुमार का जन्म हुआ | जिसका नाम भी गुरु गोरखनाथ जी के नाम के पहले अक्षर से ही रखा गया |
यानी गुरु का गु और गोरख का गो यानी की गुगो जिसे बाद में गोगा जी कहा जाने लगा | गोगा जी ने गूरू गोरख नाथ जी से तंत्र की शिक्षा भी प्राप्त की थी |
यहाँ राजस्थान में गोगा जी को सर्पो के देवता के रूप में पूजा जाता है |
कुछ कथाकार इनको पाबूजी महाराज के समकालीन मानते है तो कुछ इतिहास कार गोगाजी व पाबूजी के समयाकाल में दो सो से दाई सो वर्षो का अंतराल मानते है |
कथाओं के मुताबिक पाबूजी के बड़े भाई बुढाजी की पुत्री केलम इनकी पत्नी थी |
वर्तमानकाल में जिसे ददरेवा कहा जाता है यह जिला चुरू (राज.) में आता है | इसका पुराना ऐतिहासिक महत्व भी था क्यों की यह चौहान शासको की राजधानी थी |
ददरेवा के राजा जीव राज जी चौहान की पत्नी ने भगवान की भक्ती की जिसके फलस्वरुप वहा गुरु गोरखा नाथ जी महाराज पधारे और उन्होंने बछल देवी को संतानोपत्ति का आशीर्वाद दिया |
कुछ समय उपरांत उनके घर एक सुन्दर राजकुमार का जन्म हुआ | जिसका नाम भी गुरु गोरखनाथ जी के नाम के पहले अक्षर से ही रखा गया |
यानी गुरु का गु और गोरख का गो यानी की गुगो जिसे बाद में गोगा जी कहा जाने लगा | गोगा जी ने गूरू गोरख नाथ जी से तंत्र की शिक्षा भी प्राप्त की थी |
यहाँ राजस्थान में गोगा जी को सर्पो के देवता के रूप में पूजा जाता है |
कुछ कथाकार इनको पाबूजी महाराज के समकालीन मानते है तो कुछ इतिहास कार गोगाजी व पाबूजी के समयाकाल में दो सो से दाई सो वर्षो का अंतराल मानते है |
कथाओं के मुताबिक पाबूजी के बड़े भाई बुढाजी की पुत्री केलम इनकी पत्नी थी |
1 टिप्पणी:
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